दस्तूर....

अजब दस्तूर-ऐ-मोहब्बत निभाने को कहते हो
दिल-ऐ-दाग़ दार से मुस्कराने को कहते हो।

खुद आते हो याद हद की हद तक
और मुझसे भूल जाने को कहते हो।।

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