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Showing posts from September, 2019

टीस........

सुना है मेरे बाद तुम जिसके बिस्तर की सलवटें हो गई .... वो किसी का रूमाल हो गया है? लैला किसी की, मजनू किसी का देख जरा मोहब्बत.... तेरा क्या हाल हो गया है।

हर्ज़

कभी फुर्सत में मिलो तो फुर्सत से बात करते हैं क्या कहा बात नहीं करनी, तो चलो थोड़े इल्ज़ामात करते है। अरे यूँ रूठ के ऊठना, ऊठ के मुडना और मुड़ के चले जाना, अच्छा नहीं है, अगर नाराज हो तो चलो  नजरों से बात करते है।

बहुत भोले हो....

छुप-छुप के मोहब्बत निभाती रही हूँ मैं कि जिस रोज वो नही सोया खुद को जगाती रही हूँ मैं। अक्सर रूठ जाता है मेरी इस बात से वो उसके जर्रे-जर्रे में अपनी धूल उडाती रही हूँ मैं। कातिल है,  प्यारा है, हसीन है, दिलकश है कि हर शाम उसकी नजर उतारती रही हूँ मैं। कहीं मैला न हो जाए बस इसी डर से उसे कितने दिनों दूर से ही निहारती रही हूँ मैं। छू तो लूँ कहीं हवा न हो जाए इसी डर से उसे हकीकत बताती रही हूँ मैं। चल कुछ दूर, साथ चल मेरे कि कभी थक कर कुछ देर साथ बैठ जाओगे इसी नियत से थकाती रही तुम्हें। बहुत भोले हो अब तक नही समझे ये मोहब्बत है तुम्हें कितने दफे तो जताती रही हूँ मैं।

वापसी

इस एक तरफा रास्ते की मिलती कोई मंजिल नही, इतनी आगे आ पहुचे की अब लौटना मुमकिन नही