Posts

Showing posts from September, 2020

कालचक्र

Image
मत कर सवाल इतने कि जवाब दे न सकूंँ,  थककर बैठूँ ऐसे की और ख्वाब ले न सकूँ। मोहलत मिले कुछ तो हरारत जाग जाती है, सफर लंबा बचा है सोचकर आरामीयत भाग जाती है। "दुनिया", तेरी बातों में मन लग तो जाता है, पर मुझे "जिंदगी", तेरी भाग-दौड़ का डर सताता है। आज ही बागीचे में एक नई कोपल दिखी है, शाम बीते लम्हा न हुआ फिर बादल गडगडाता है। एक मुद्दत के बाद परिंदे ने फिर अशियां बुना है, हवा फिर रुख बदलने को बेसबर है, मैने सुना है। फटा बादल तो, गजब ढाँ गया है, कभी जो शान से खडे़ थे...माटी में मिला गया है। थका बैठा है, आसमान ताकता है, "बेबस" कुछ दम भरता है, फिर भागता है। कई छेद है उसमे, कहीं चिथड़े जडे़ हुए, वो पल्ला जो मेरी माँ का सिर ढाँकता है। मत कर सवाल इतने कि जवाब दे न सकूँ,  थककर बैठूँ ऐसे फिर ख्वाब ले न सकूँ। आज़माता है, डराता है, तो थपथपाता है कभी,  वक्त का पलना है... गिराता है, तो झूलाता है कभी। गिरती है गाज तो हम पर ही गिरे क्यों,  मिलता है जो घर वो मेरा ही मिले क्यों।  मैं जो कह दूँ तो शिकायत लगती है, आहट है, जो आगाज-ऐ-बगावत लगती है। खामोश फितरत नहीं त

ठोर न बदले...

Image
  यूँ तो बात बड़ी करते हो मन की पीर भी हर न पाये।  तन माटी का लेकर घूमे नीर लगे तो घुल-घुल जाये।। कौन दीन का है तू इंसा गलती करे फेर पछतावे। कहाँ लगा भाग-दौड़ में जहाँ से आयो बई ठोर है जाने।।  लम्बी कोई क्षण भर की जो जिए वो जाको मोल न जाने। कर दिजे नाश, माठी को राख जितने व्यसन बे सब कर डाले।।  लक्षण खोये, खो दयो चरित और बैठ सभा में सब गिनवावे। शरम रही न बची प्रतिष्ठा झूठे ठाठ को मर-मर जावे।। ठाठ-बाट में कमी कछु नाई अपने सुख से बड़ो कछु नाई। दूजन के अवगुण सब दीख गये अपने पाप नजर नही आवे।। वाह रे, मानुस... कौन सी धुन में रहे "नम्रता", भांप बने जो उड़ जावेगो वो खुद को परमेश्वर माने।। सुख-दुःख में जो कटे काट ले अपनो छोड़ पराये पे काये लार बहावे। उसकी धुन में लग जा "भटके" सुख-दुःख सब फिर मन को भावे।। जितनी है जी भर के जी ले जाने कब पूर्णविराम लग जाये। पछतावा न रहे तनिक भी जीते जी जो जी न पाये।। तन माटी को लेकर घूमे नीर लगे तो घुल-घुल जाये...