Posts

Showing posts from August, 2020

मंजिल के रास्ते

Image
रूक,  ठहर,  कभी बैठ पहर-दो पहर जिंदगी है थमेगी नही कभी अधर से शिकायत कहेगी नही।  माना सफर लम्बा बहुत है भागने से मंजिल मिलेगी नही। यूँ दौडेगा तो थक जाएगा कुछ देर बाद हाँफेगा और रूक जाएगा। माना की तुम्हें देर रास नही आती पर बेवजह की जिद्द भी तो काम नही आती। एक उम्र काट दी, कुछ आधी और बाकी है जरा एक बात बता, तेरे सफर का तनहाई क्यों साथी है।  सफर दूर का है, माना तू भी मजबूर सा है अकेला कब तक चलेगा कभी तो अकेलापन भी खलेगा। ये रास्ते का स्वभाव है चलेगा ही कभी न कभी मंजिल से मिलेगा ही।  पर ये न सोच की ये थम जाएगा फिर कोई नया सफर बन जाएगा।  पर मंजिल की दौड़ में हम भूल जाते हैं रास्ते में जीने से थोड़ा कतराते हैं। ये रास्ता ही तो है जो मंजिल दिलाता है तुम्हें थकन भरी रात में थपथपाता है। कुछ एक-आध बातें इससे भी करो मंजिल तो वहीं है, बस तुम सही रास्ते पर चलो।  सही है, भागोगे तो थक जाओगे हाँफ कर रूक जाओगे। रास्तों में जीने का हुनर सीख लो गिर कर उठने की कदर सीख लो।  जीत जाओगे मंजिल.... जो रास्ते से जुड़ जाओगे। भागोगे तो थक जाओगे....

अब सुर में रहती हूँ

Image
मुझे सुनता है पर जवाब नही देता सपनों के बुत बनाता जरूर है बस उन्हें असलियत का लिबास नही देता।  बडी चहलकदमी में रहता है ये मन कुछ लम्हे क्या मिले फुरसत के फिर इक लम्हा भी मिरे पास नही रहता। जो साथ होता है तो दूर तक ले जाता है मेरे शब्दों में आवाज नही होती फिर भी ये मन मुझे बेसुरा बताता है। बेसुरा कहे भी क्यों ना, परेशान जो है मेरी बेवजह की जिद्द से हैरान जो है।  कल ही किसी बात पर अड़ कर बैठी थी फिर हुई सुबह और मैं सिर पकड़ कर बैठी थी।  मुड़ना था बांए को, मैं दाएँ जाना चाहती थी "लोग क्या-क्या सोचेंगे" ये सोच कर रूक जाती थी। सच है ये मन परेशान तो बहुत है मुझमे ही उडने का हौसला कम था वरना खुले पंखों के लिए आसमान तो बहुत है। थोड़ी देर से ही सही पर हिम्मत की अब बुतों को लिबास दे दिए हैं  इन पंखों को उडने को आसमान दे दिए हैं । मैं अब खुद को सुरीली लगती हूँ जिद्द अब भी कुछ कम नही बस अब सही-गलत का फर्क समझती हूँ।