वार्तालाप अहम है!
कल शाम बड़ी देर तक रास्ता देखती रही, तुम कुछ देर से घर आये,पूछने का मन तो हुआ फिर वही रोज-रोज की किच-किच का सोचकर चुप रह गयी। कल मेरी रचना प्रकाशित हुई थी। तुम्हें अख...
मेरे फसानों में पढ़ लेना मुझको। मैं बुत हूँ, अपनी हसरतों की!!