Posts

Showing posts from May, 2020

वार्तालाप अहम है!

             कल शाम बड़ी देर तक रास्ता देखती रही, तुम कुछ देर से घर आये,पूछने का मन तो हुआ फिर वही रोज-रोज की किच-किच का सोचकर चुप रह गयी। कल मेरी रचना प्रकाशित हुई थी। तुम्हें अख...

शोर होना चाहिए!

जल गया दीपक अपनी ही आग से, क्या ढूँढते हो अब बची इस राख में। विश्व ने माना लोहा जिसका, वो तिरंगा झुका जा रहा अपनी ही आँख में। जीत जाते गर जंग बाहरी होती, हम हारे अपनी आस्तीन के सा...

मां भारती

घात ह्रदय पर बैचेन मन हैं, उदास चित्त और भींगे नयन है। मेरा देश ऐसा नही है, माँ के बिन बच्चा सोता नही है। भटके हुए कुछ नादान हैं मां, दिलों में घृणा की अगन हैं। तुझसे प्रेम बहुत...

सोचती हूँ!

चमक बहुत  है उसमे सोचती हुँ वो चाँद तो नही । मुश्किल है उसे सच कहना सोचती  हूँ वो ख्वाब तो नही। आस-पास लगते हो वाकई तुम साथ तो नही। दर्द से ज्यादा तड़प है तुम कहो ये दर्द अज़ाब ...