हर्ज़

कभी फुर्सत में मिलो तो फुर्सत से बात करते हैं
क्या कहा बात नहीं करनी, तो चलो थोड़े इल्ज़ामात करते है।

अरे यूँ रूठ के ऊठना, ऊठ के मुडना और मुड़ के चले जाना, अच्छा नहीं है,
अगर नाराज हो तो चलो  नजरों से बात करते है।

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